हर बार की तरह एक बार फिर काफी दिनों के बाद मौका मिला है। गुजरात में शाराब तो बंद है लेकिन चोरी छिपे हर कोई शराब ही पी रहा है। जिसे देखते हैं तो सभी लेकिन कोई कुछ करता नहीं। अपने ही देश में हर कोई इस तरह की घटनाओं से किनारा करना चाहता है तो आखिर इससे छुटकार मिले तो कैसे। शराब कुन्द कर देती है लेकिन इसका मुनाफा देख कर कोई भी इसकी शिकायत नहीं करता। माखन तो कृष्ण खाते थे लेकिन आज के कृष्ण शराब पर ही जीना चाहते हैं।
Monday, December 21, 2009
Tuesday, July 29, 2008
यही सच्चाई है...
Monday, July 28, 2008
ये है गाँधी का देश
बमों की गूँज है गाँधी का देश, क्या इसी की कल्पना की थी हमारे राष्ट्रपिता ने । इस बात को थोडा गंभीरता से सोंचें।
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