Monday, December 21, 2009

कृष्ण की पुकार...


हर बार की तरह एक बार फिर काफी दिनों के बाद मौका मिला है। गुजरात में शाराब तो बंद है लेकिन चोरी छिपे हर कोई शराब ही पी रहा है। जिसे देखते हैं तो सभी लेकिन कोई कुछ करता नहीं। अपने ही देश में हर कोई इस तरह की घटनाओं से किनारा करना चाहता है तो आखिर इससे छुटकार मिले तो कैसे। शराब कुन्द कर देती है लेकिन इसका मुनाफा देख कर कोई भी इसकी शिकायत नहीं करता। माखन तो कृष्ण खाते थे लेकिन आज के कृष्ण शराब पर ही जीना चाहते हैं।

Tuesday, July 29, 2008

यही सच्चाई है...


क्या इसी को कहते हैं तरक्की ये है गुजरात । हर बार एक दर्द देने की चाहत के साथ मानवता को शर्मसार करने की हरकत है ये हो सकता है कि कोई इस आघात को सह ही ना पाये मेरा दिल दुखता है इसे देखकर आपका क्या होता है ये मैं नहीं कह सकता हूँ।अगर सचमुच कुछ ऐसा होता है तो सिखा दिजिए इन दहशत गर्दों को ।

Monday, July 28, 2008

ये है गाँधी का देश

बमों की गूँज है गाँधी का देश, क्या इसी की कल्पना की थी हमारे राष्ट्रपिता ने । इस बात को थोडा गंभीरता से सोंचें।