Monday, December 21, 2009

कृष्ण की पुकार...


हर बार की तरह एक बार फिर काफी दिनों के बाद मौका मिला है। गुजरात में शाराब तो बंद है लेकिन चोरी छिपे हर कोई शराब ही पी रहा है। जिसे देखते हैं तो सभी लेकिन कोई कुछ करता नहीं। अपने ही देश में हर कोई इस तरह की घटनाओं से किनारा करना चाहता है तो आखिर इससे छुटकार मिले तो कैसे। शराब कुन्द कर देती है लेकिन इसका मुनाफा देख कर कोई भी इसकी शिकायत नहीं करता। माखन तो कृष्ण खाते थे लेकिन आज के कृष्ण शराब पर ही जीना चाहते हैं।

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